This is me trying myself at a Hindi composition. Sincere apologies to non-Hindi readers.
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यूं तो कुछ केहना था, लेकिन
पूछने पर तुम्हारे कुछ बोलना चाहता था,
शायद सोचा था की बोलना ज़रूरी नही होता,
क्यूंकि हर बार की तरह इस बार भी मेरी आँखों ने दोखा दिया था मुझे,
लेकिन तुम समझ नही पायी, इसलिये
©2014 Aman Gupta
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यूं तो कुछ केहना था, लेकिन
समझ नही पाया की आखिर कहाँ से शुरू करूं,
अंत मे कुछ नही बोलना ही सही समझा
देख कर तुम्हे याद तो आई थी कुछ बातेँ,
मैं समझ नही सका की कहाँ छुपी थी यें,
अंत मे कुछ नही बोलना ही सही समझा
पूछने पर तुम्हारे कुछ बोलना चाहता था,
शायद सोचा था की बोलना ज़रूरी नही होता,
क्यूंकि हर बार की तरह इस बार भी मेरी आँखों ने दोखा दिया था मुझे,
लेकिन तुम समझ नही पायी, इसलिये
अंत मे कुछ नही बोलना ही सही समझा
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©2014 Aman Gupta
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